पटना.
मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने आज प्रगति यात्रा के तीसरे चरण में पूर्णिया जिले में चल रही विकासात्मक योजनाओं के संबंध में समाहरणालय परिसर में नवनिर्मित महानंदा सभागार में समीक्षात्मक बैठक की। समीक्षात्मक बैठक में पूर्णिया के जिलाधिकारी श्री कुंदन कुमार ने जिले के विकास कार्यों का प्रस्तुतीकरण के माध्यम से विस्तृत जानकारी दी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2005 से पहले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एक माह में सिर्फ39 मरीज इलाज कराने आते थे। हमलोगों ने सरकारी अस्पतालों में मुफ्त दवा एवं इलाज कीसुविधा उपलब्ध कराई, जिसके कारण अब एक माह में औसतन 11 हजार से अधिक मरीजप्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज कराने पहुंच रहे हैं। पहले बिहार में सिर्फ 6 सरकारी मेडिकल कॉलेज थे, अब उनकी संख्या बढ़कर 12 हो गई है। बिहार का सबसे पुरानाअस्पताल पटना मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल (पी०एम०सी०एच०) को 5400 बेड की क्षमताका बनाया जा रहा है। बाकी 5 पुराने मेडिकल कॉलेज एवं अस्पतालों का भी विस्तार कर2500 बेड की क्षमता का अस्पताल बनाया जा रहा है। आई०जी०आई०एम०एस०, पटना का भीविस्तार कर उसे 3000 बेड की क्षमता का अस्पताल बनाया जा रहा है। हमलोगों ने वर्ष 2015से सात निश्चय योजना के माध्यम से हर घर तक नल का जल, हर घर में शौचालय कानिर्माण, हर घर तक पक्की गली-नाली निर्माण, हर टोले तक पक्की सड़क का निर्माण, हरघर तक बिजली का कनेक्शन जैसी मूलभूत सुविधाएं लोगों तक पहुंचा दी है। जो भी नईबसावटें बनी हैं, उनमें भी ये सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। खुले में शौच करने से लोगोंको अनेक प्रकार की बीमारियां होती थीं, जिन परिवारों के घरों में शौचालय निर्माण के लिएजगह नहीं थी, उनके लिए सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराया गया। वर्ष 2020 से सातनिश्चय योजना-2 के तहत मुख्यमंत्री ग्रामीण सोलर स्ट्रीट लाइट योजना, टेलीमेडिसीन, बालहृदय योजना, हर खेत तक सिंचाई का पानी पहुंचाने आदि का काम तेजी से आगे बढ़ रहाहै।मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2006 से पंचायती राज संस्थाओं तथा वर्ष 2007 से नगरनिकायों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया गया। इसके बाद अब तक कुल 4 चुनावसंपन्न हो चुके हैं। बड़ी संख्या में महिलाएं चुनकर आई हैं। पहले बिहार में स्वयं सहायतासमूह की संख्या काफी कम थी। जब हमलोगों की सरकार बिहार में बनी तो हमलोगों ने वर्ष2006 में विष्व बैंक से कर्ज लेकर स्वयं सहायता समूह की संख्या को बढ़ाया। बिहार में अबस्वयं सहायता समूह की संख्या 10 लाख 61 हजार हो गई है जिनसे 1 करोड़ 35 लाखजीविका दीदियां जुड़ी हैं। स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं का नाम जीविका दीदीहमलोगों ने ही दिया है, जिससे प्रेरित होकर उस समय की केंद्र सरकार ने भी इसे अपनायाऔर इसका नाम ‘आजीविका’ दिया। हमलोगों ने अब बिहार के शहरी क्षेत्रों में भी स्वयंसहायता समूह का गठन शुरू कराया है। हमलोगों ने वर्ष 2013 से पुलिस की बहाली मेंमहिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला लिया, जिसका नतीजा है कि बिहार पुलिसबल में महिलाओं की संख्या देश में सबसे अधिक है। बिहार पुलिस में जितनी महिलाएं हैं, देशके किसी भी दूसरे राज्य की पुलिस बल में महिलाओं की संख्या उतनी नहीं है। वर्ष 2016 सेहमलोगों ने सभी सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण दिया है।मुख्यमंत्री ने कहा कि सात निश्चय योजना के तहत हमलोगों ने 10 लाख लोगों कोसरकारी नौकरी देने का लक्ष्य निर्धारित किया था, जिसे बढ़ाकर 12 लाख किया गया है। अबतक 9 लाख लोगों को सरकारी नौकरी दे दी गई है। इसके अलावा 10 लाख लोगों कोरोजगार देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। अब तक 24 लाख लोगों को रोजगार मुहैयाकराया जा चुका है। वर्ष 2025 में निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप 12 लाख लोगों को सरकारीनौकरी तथा 34 लाख लोगों को रोजगार मुहैया करा दिया जाएगा। हमलोगों ने सभी वर्गों केउत्थान के लिए काम किया है। सभी पार्टियों के साथ बैठक कर बिहार में जाति आधारितगणना कराई गई, जिसमें 94 लाख गरीब परिवारों को चिह्नित किया गया है, जो हर जाति सेजुड़े हैं। ऐसे गरीब परिवारों को प्रति परिवार 2 लाख रुपये की आर्थिक मदद दी जा रही हैताकि वे अपना जीविकोपार्जन कर सकें।