सिसोदिया को डिप्टी सीएम बनाने की केजरीवाल की घोषणा से उपजे सवाल

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नई दिल्ली

मनीष सिसोदिया को आम आदमी पार्टी के डिप्टी सीएम का चेहरा घोषित किया गया है. ये घोषणा AAP नेता अरविंद केजरीवाल की तरफ से जंगपुरा विधानसभा क्षेत्र में एक चुनावी रैली के दौरान की गई.

करीब 8 साल तक, 14 फरवरी, 2015 से 28 February, 2023 तक मनीष सिसोदिया दिल्ली के डिप्टी सीएम रह चुके हैं. दिल्ली आबकारी नीति केस में सीबीआई के गिरफ्तार करने लेने के बाद मनीष सिसोदिया को इस्तीफा देना पड़ा था – करीब 17 महीने जेल में बिताने के बाद वो जमानत पर बाहर हैं. 

जंगपुरा से वो पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं. 2013 से 2020 तक के दिल्ली विधानसभा चुनावों में मनीष सिसोदिया पटपड़गंज से चुनाव लड़ते और जीतते आ रहे हैं, लेकिन अवध ओझा को पटपड़गंज से आम आदमी पार्टी का उम्मीदवार बना दिये जाने से मनीष सिसोदिया को जंगपुरा का रुख करना पड़ा.

जंगपुरा में मनीष सिसोदिया का मुकाबला बीजेपी के तरविंदर सिंह मारवाह से है, जो वहीं से 3 बार कांग्रेस के विधायक रहे हैं, लेकिन 2022 में पाला बदल कर बीजेपी में पहुंच गये. कांग्रेस ने जंगपुरा से फरहाद सूरी को टिकट दिया है.

जंगपुरा के मैदान में केजरीवाल की घोषणा का मतलब

जंगपुरा विधानसभा सीट आम आदमी पार्टी के लिए करीब करीब वैसी ही है, जैसी कांग्रेस के लिए वायनाड लोकसभा सीट. 2019 में राहुल गांधी को और अब 2024 में प्रियंका गांधी को वायनाड से ही संसद में एंट्री मिल पाई. जंगपुरा सीट पर आम आदमी पार्टी 2013 से ही काबिज है.

फिर भी चुनावी रैली में दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कहते हैं, मैंने मनीष सिसोदिया को आप लोगों को सौंप दिया है, और उनसे कहा है कि जंगपुरा का विकास 10 गुना ज्यादा करना है, जितने काम रुके हैं, उन्हें टॉप स्पीड से पूरा करना है… जो काम नहीं हो पाये वे सभी करने हैं. विकास की नई योजनाएं चालू करनी हैं.

और लगे हाथ वो जंगपुरा के लोगों को आगाह भी करते हैं, गलती से भी गलती मत करना. समझाते हैं, बीजेपी के 8 विधायकों ने अपने इलाके के लोगों को जीवन नर्क बना दिया है. केजरीवाल का दावा है कि बीजेपी के विधायक कोई काम ही नहीं करते. अपनी सरकार के बारे में कहते हैं, हमने 24 घंटे बिजली की उपलब्धता की है… अगर 24 घंटे बिजली चाहिये तो झाड़ू का बटन दबाना… अगर 6 घंटे के पावर कट चाहिये तो कमल का बटन दबा देना.

मनीष सिसोदिया की तारीफ में कहते हैं, मनीष सिसोदिया मेरे सेनापति हैं, छोटे भाई हैं… और सबसे प्यारे हैं… दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बन रही है… सब कह रहे हैं कि भले आम आदमी पार्टी की 2-4 सीटें कम आयें, लेकिन सरकार आम आदमी पार्टी की ही बन रही है… मनीष सिसोदिया आम आदमी पार्टी की सरकार में फिर से उपमुख्यमंत्री बनेंगे.

सिसोदिया के डिप्टी सीएम बनने से जंगपुरा के लोगों को होने वाले फायदे के बारे में समझाते हुए अरविंद केजरीवाल कहते हैं, सिसोदिया के डिप्टी सीएम बनने का मतलब, आप सब भी डिप्टी सीएम रहोगे… कोई अफसर अनदेखी नहीं कर सकेगा… एक फोन पर दौड़कर काम करेंगे अफसर… आप लोगों का विधायक अगर उपमुख्यमंत्री होगा, तो सारे अधिकारी फोन पर ही आपके काम कर देंगे. किसी अफसर की हिम्मत नहीं होगी, जो डिप्टी सीएम की विधानसभा के आदमी का फोन न उठाये.

लोग केजरीवाल की बातें बड़े ध्यान से सुनते हैं, लेकिन कइयों के मन में एक स्वाीभाविक सवाल भी होता है, जिसके जवाब के लिए वे मन ही मन जूझते हैं. क्या वास्तव में ऐसा ही होता है? फिर पूरे साल ये क्यों सुनने को मिलता है कि दिल्ली सरकार के अफसर चुनी हुई आम आदमी पार्टी की सरकार की बातों की परवाह ही नहीं करते! 

केजरीवाल CM नहीं बन पाये तो भी सिसोदिया डिप्टी सीएम ही बनेंगे?

हाल ही में आजतक से बातचीत में दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने दावा किया था, बीजेपी ने मुझे पार्टी ज्वाइन करने का ऑफर दिया था… जब मैं तिहाड़ जेल में था, तो बीजेपी ने मुझे मुख्यमंत्री पद की पेशकश की थी.

ऑफर के बारे में मनीष सिसोदिया ने बताया था कि बीजेपी ने उनसे कहा कि अगर वो आम आदमी पार्टी के विधायकों को तोड़ देंगे, उनको दिल्ली का मुख्यमंत्री बना दिया जाएगा. विधायकों को तोड़ने का आरोप अरविंद केजरीवाल पहले भी लगा चुके हैं, और ताजा चुनाव में भी आम आदमी पार्टी की कम सीटें आने पर भी ऐसी आशंका जता चुके हैं. 

अरविंद केजरीवाल ने मनीष सिसोदिया को डिप्टी सीएम बनाये जाने की घोषणा ऐसे वक्त की है जब, चुनाव जीत जाने पर भी, उनके भी अब तक मुख्यमंत्री बनने के रास्ते की बाधाएं खत्म नहीं हुई हैं – ऐसे में अरविंद केजरीवाल की घोषणा से कुछ सवाल भी खड़े हो रहे हैं. 

1. अगर आम आदमी पार्टी को चुनाव में जीत मिलती है, और अरविंद केजरीवाल के मुख्यमंत्री बनने की राह की बाधाएं खत्म हो जाती हैं, तब तो कोई बात ही नहीं है. वैसे भी आतिशी को लेकर तो पहले ही साफ कर दिया गया था कि उनकी भूमिका टेस्ट क्रिकेट वाले नाइटवॉचमैन से ज्यादा नहीं है, और वो भी ये बात अच्छी तरह जानती हैं, तभी तो बगल में एक खाली कुर्सी रखकर काम करती हैं. हो सकता है मन में ये आशंका भी हो कि क्या पता, हेमंत सोरेन की तरह केजरीवाल के मन में भी वैसे ख्याल आ गये तो क्या होगा?

2. फर्ज कीजिये, आम आदमी पार्टी चुनाव जीत जाती है, लेकिन अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री नहीं बन पाते, तो भी क्या मनीष सिसोदिया डिप्टी सीएम ही बनेंगे?

3. अगर अरविंद केजरीवाल के मुख्यमंत्री न बनने की स्थिति में आतिशी को ही कुर्सी पर बैठाया जाता है, तो भी मनीष सिसोदिया को डिप्टी सीएम ही बनाया जाएगा?

4. आखिर मनीष सिसोदिया मुख्यमंत्री क्यों नहीं बन सकते? मनीष सिसोदिया का कार्यानुभव तो बिल्कुल मुख्यमंत्री जैसा ही है. आखिर देश में कौन से डिप्टी सीएम ने मनीष सिसोदिया जैसी भूमिका में काम किया है?

5. मनीष सिसोदिया के मुकाबले देखा जाये तो अरविंद केजरीवाल को ही मुख्यमंत्री पद का कार्यानुभव कम है. राजनीति में आकर पहला ही चुनाव जीत लेना, शीला दीक्षित जैसी दिग्गज नेता को उसी के इलाके में पहुंच कर हरा देना और पहले प्रयास में ही मुख्यमंत्री बन जाना अलग बात है, लेकिन अरविंद केजरीवाल अभी तक तो चीफ-मिनिस्टर-विदाउट पोर्टफोलियो ही रहे हैं – मनीष सिसोदिया का हक तो ज्यादा बनता है.

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