पीएम मोदी ने देश को सिकल सेल एनीमिया से मुक्त करने का लक्ष्य रखा, मप्र के तीन मेडिकल कॉलेजों में जांच शुरू करने की तैयारी

admin
2 Min Read

भोपाल
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2047 तक देश को सिकल सेल एनीमिया से मुक्त करने का लक्ष्य रखा है। इस दिशा में प्रदेश में जांच और उपचार की सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं। सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित संतान का जन्म न हो, इसलिए गर्भ में ही रक्त परीक्षण किया जाएगा। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने इसके लिए मेडिकल कॉलेजों से प्रस्ताव मांगे हैं। अभी तक इंदौर, जबलपुर और रीवा के सरकारी मेडिकल कॉलेज ने प्रस्ताव दिया है।

एम्स भोपाल से भी इसके लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) की ओर से अनुबंध करने की तैयारी है। इस जांच में गर्भावस्था के पहले तीन माह में शिशु के रक्त के सैंपल निकालकर जांच की जाती है। जांच के बाद अगर शिशु बीमारी से प्रभावित मिलता है तो गर्भ समापन कराया जाएगा। अभी एक गैर सरकारी संगठन के सहयोग से कुछ जिलों में यह सुविधा कुछ मामलों में शुरू की गई है।

यह बीमारी मुख्य रूप से मध्य प्रदेश सहित देशभर में ज्यादातर आदिवासियों में पाई जाती है। इसमें खून बनाने वाली लाल रक्त कोशिकाओं का आकार बदल जाता है, जिससे रोगी के शरीर में रक्त नहीं बनने से इसकी कमी हो जाती है। रक्त कम होने से उसे दूसरी बीमारियों भी घेरने लगती हैं। इसके उन्मूलन के लिए प्रदेश में पीड़ितों या वाहकों का आपस में विवाह रोका जा रहा है। इसके लिए जेनेटिक कार्ड बनाया गया है। जेनेटिक काउंसलिंग भी की जा रही है।

युवक-युवती के जेनेटिक कार्ड के मिलान से यह पता चल जाता है कि विवाह करना उचित है या नहीं। प्रदेश में वर्ष 2018 में दो जिलों में सामान्य लोगों का रक्त परीक्षण कर बीमारी की पहचान की शुरुआत की गई थी। अभी तक 63 लाख लोगों की जांच हो चुकी है, जिसमें 21 हजार रोगी और एक लाख 34 हजार वाहक मिले हैं। प्रदेश की अग्रणी भूमिका होने के कारण ही प्रधानमंत्री ने इस बीमारी के उन्मूलन की शुरुआत मप्र से की थी।

Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *