वक्फ विधेयक जरूरी, एएसआई ने संयुक्त संसदीय समिति की बैठक में कहा

नई दिल्ली : वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की चौथी बैठक शुक्रवार को हुई। बैठक के दौरान 
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के वरिष्ठ अधिकारियों ने संयुक्त संसदीय समिति के समक्ष एक प्रस्तुति दी। 
जकात फाउंडेशन ऑफ इंडिया और तेलंगाना वक्फ बोर्ड सहित कई हितधारकों ने वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर अपने विचार, सुझाव और 
मौखिक साक्ष्य रखे।
बैठक में एएसआई भी शामिल हुए। एएसआई ने कहा कि कई संपत्तियां जो पहले भारत सरकार द्वारा संरक्षित की गई थीं, उन पर वक्फ ने बिना किसी
 सबूत के दावा किया है ।
सूत्रों के मुताबिक, जेपीसी की अगुवाई वाली बैठक में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने संरक्षित स्मारकों और स्थलों में वक्फ से संबंधित मुद्दों पर एक विस्तृत 
प्रस्तुति दी और उनके सामने आने वाली समस्याओं के बारे में बताया। उन्होंने इस बात पर भी चर्चा की कि वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक क्यों जरूरी है।

बैठक में प्रस्तावित विधेयक में विभिन्न संशोधनों को लेकर विपक्षी दलों और सत्तारूढ़ दल के सांसदों के बीच तीखी नोकझोंक भी देखी गई।  
गुरुवार को वक्फ पर जेपीसी की अगुवाई वाली तीसरी बैठक में शहरी विकास, रेलवे और सड़क एवं परिवहन मंत्रालय समेत अन्य मंत्रालयों ने प्रेजेंटेशन 
दिया।
 सूत्रों ने बताया कि आवास विकास विभाग के सचिव ने भी जेपीसी की बैठक में अपने विचार रखे और कहा कि दिल्ली में 138 संपत्तियों को लेकर 
डीडीए और वक्फ बोर्ड के बीच विवाद है, जिनमें से 123 संपत्तियां अत्यधिक विवादास्पद हैं।

 सूत्रों के मुताबिक, एएसआई ने अपने प्रेजेंटेशन में बताया कि वक्फ अधिनियम 1995 वक्फ बोर्ड को दान के नाम पर किसी भी संपत्ति या इमारत को वक्फ संपत्ति घोषित करने का अधिकार देता है। सूत्रों के 
अनुसार, इस अधिकार का उपयोग करते हुए, वक्फ बोर्ड ने संरक्षित स्मारकों को वक्फ संपत्ति घोषित करने के लिए अधिसूचनाएं जारी की हैं, जिसके
 परिणामस्वरूप प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल और अवशेष अधिनियम 1958 के तहत दिए गए अधिकारों के साथ टकराव हो रहा है।
सूत्रों का दावा है कि वक्फ बोर्ड भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को इन संरक्षित स्मारकों पर नियमित संरक्षण और रखरखाव कार्य करने से रोकता है। 
ऐसे कई उदाहरण हैं जहां वक्फ अधिकारियों ने संरक्षित स्मारकों की मूल संरचना में बदलाव किए हैं, जिससे उनकी प्रामाणिकता और अखंडता प्रभावित
 हुई है। राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों पर दोहरा अधिकार अक्सर प्रशासनिक समस्याओं को जन्म देता है। 
सूत्रों के मुताबिक, एएसआई ने अपने प्रेजेंटेशन में बताया कि वक्फ के प्रतिनिधि या समिति के सदस्य कभी-कभी एकतरफा फैसले लेते हैं जो नीतियों के
 विपरीत होते हैं। 
कुछ मामलों में, गोपनीयता का हवाला देते हुए एएसआई कर्मचारियों को स्मारक के कुछ हिस्सों में प्रवेश करने से प्रतिबंधित कर दिया जाता है। वक्फ 
अधिकारी कभी-कभी स्मारक के स्वामित्व का दावा करते हैं, जिससे प्रबंधन संबंधी समस्याएं पैदा होती हैं। 
 
 
 
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