स्वास्थ्य मंत्रालय ने एमडीआर-टीबी के नए उपचार को मंजूरी दी

नई  दिल्ली, छह सितंबर : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपने राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के तहत ‘बीपीएएलएम’ पद्धति को बहु-दवा प्रतिरोधी तपेदिक (एमडीआर-टीबी) के उपचार के लिए बेहद प्रभावी व अल्पकालिक उपचार विकल्प के तौर पर स्वीकृति दे दी है।

मंत्रालय ने एक बयान में कहा गया है कि ‘बीपीएएलएम’ (उपचार) पद्धति में नयी तपेदिक (टीबी) रोधी दवा प्रीटोमैनिड के साथ बेडेक्विलिन और लिनजोलिड (मॉक्सीफ्लॉक्सेसिन सहित या रहित) हैं।

केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) द्वारा ‘प्रीटोमैनिड’ को पहले ही भारत में उपयोग के लिए स्वीकृति व लाइसेंस प्रदान किया जा चुका है।

मंत्रालय ने कहा कि ‘बीपीएएलएम’ पद्धित में चार दवाएं-प्रीटोमैनिड, बेडेक्विलिन और लिनजोलिड और मॉक्सीफ्लॉक्सेसिन – शामिल है और यह पुरानी एमडीआर-टीबी उपचार विधि की तुलना में सुरक्षित, अधिक प्रभावी और त्वरित उपचार विकल्प साबित हुआ है।

बयान में कहा गया है, ‘एक ओर एमडीआर-टीबी का पारंपरिक उपचार 20 महीने तक चल सकता है और इसके दुष्परिणाम भी सामने आ सकते हैं, तो दूसरी ओर बीपीएएलएम पद्धति की उपचार सफलता दर काफी उच्च है और यह दवा प्रतिरोधी तपेदिक को केवल छह महीने में ठीक कर सकती है।”

मंत्रालय ने कहा, ‘भारत में दवा प्रतिरोधी तपेदिक के 75,000 रोगी अब इस छोटी (उपचार) विधि का लाभ उठा सकेंगे।’

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के परामर्श से टीबी के इस नए उपचार को मंजूरी देने पर मुहर लगाई गई है। मंजूरी देने से पहले इस उपचार की देशभर के विषय विशेषज्ञों ने गहन समीक्षा की है।

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