तो क्या यूपी उपचुनाव के चलते हरियाणा में कांग्रेस से सीटों पर मोलभाव कर रही है सपा?

सपा का दावा है कि हरियाणा में 11 सीटें यादव बहुल और 7 सीटें मुस्लिम बहुल हैं.. ऐसे में सपा वहां 5 सीटें मांग रही है

Highlights
  • यूपी में उपचुनाव वाली 8 सीटों पर 2022 में कांग्रेस 6 हजार वोटों के अंदर ही सिमट गई थी
  • मीरापुर, कुंदरकी, खैर और फूलपुर में तो उसे दो हजार वोट भी नहीं मिले थे
  • 10 हजार मतों से ऊपर सिर्फ एक सीट गाजियाबाद में ही कांग्रेस गई थी

2019 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद दुष्यंत चौटाला की पार्टी जननायक जनता पार्टी ने भाजपा के साथ गठबंधन से सरकार बनाने में कामयाब रही लेकिन 2024 आते आते लोकसभा चुनाव से पहले दोनों दलों कि रास्ते अलग अलग हो गए.. कहीं कुछ ऐसा ही तो हरियाणा में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी में तो नहीं हो जाएगा.. क्यूंकि लोकसभा चुनावों में यूपी में दोनों पार्टियों ने मिलकर चुनाव

 

लड़ा और मौजूदा भारतीय जनता पार्टी को नाको चने छपवा दिए हालांकि खबरों के मुताबिक समाजवादी पार्टी हरियाणा में भी विधानसभा चुनाव लड़ना चाहती है क्योंकि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन है लिहाजा साप इंडिया गठबंधन के तहत हरियाणा में भी कुछ सीटों पर अपने प्रत्याशियों को उतारना चाहती है.. अगर खबरों की मन नहीं है तो समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस नेतृत्व को यह बता दिया है कि अगर हरियाणा में सपा कमजोर है तो यूपी में भी कांग्रेस मजबूत नहीं है.. समाजवादी पार्टी की तरफ से यह बात इसलिए कही गई है क्योंकि आने वाले दिनों में उत्तर प्रदेश में 10 सीटों पर उपचुनाव होना है.. उपचुनाव वाली जिन सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ने का दावा कर रही है, वहाँ साल 2022 के चुनाव में उसकी हालत बेहद खराब रही थी.. कांग्रेस ने यूपी के उपचुनाव में सपा से 3 से 5 सीटों कि डिमांड कि है.. तो इसी बारगेनिंग के बदले समाजवादी पार्टी ने हरियाणा और महाराष्ट्र में कुछ चुनाव लड़ने का भी दावा ठोका है

.. सपा का दावा है कि हरियाणा में 11 सीटें यादव बहुल और 7 सीटें मुस्लिम बहुल हैं.. ऐसे में सपा वहां 5 सीटें मांग रही है.. लेकिन असली सियासी पेज तो यही फसा है क्योंकि कांग्रेस की हरियाणा इकाई के नेता सपा को साझेदारी के तहत सीटें देने के लिए तैयार नहीं हैं

 

*2022 के विधानसभा चुनाव में उपचुनाव वाली 8 सीटों पर क्या रहा था कांग्रेस का हाल*

यूपी में उपचुनाव वाली 8 सीटों पर 2022 में कांग्रेस 6 हजार वोटों के अंदर ही सिमट गई थी

मीरापुर, कुंदरकी, खैर और फूलपुर में तो उसे दो हजार वोट भी नहीं मिले थे

10 हजार मतों से ऊपर सिर्फ एक सीट गाजियाबाद में ही कांग्रेस गई थी

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