छत्तीसगढ़-बिलासपुर में निजी जमीन में पिता को दफनाओ या ईसाइयों की कब्र में गड़ाने जाओ, सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम संस्कार पर सुनाया फैसला

admin
2 Min Read

बिलासपुर।

छत्तीसगढ़ के एक गांव में ईसाई रीति-रिवाज से अपने पिता का अंतिम संस्कार करने के लिए याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आज अहम फैसला सुनाया है। यह मामला उस वक्त सामने आया था, जब रमेश बघेल ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने ईसाई रीति-रिवाज के तहत शव दफनाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था, जिस पर रमेश ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।

सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ ने इस मामले पर फैसला सुनाते हुए अलग-अलग राय दी। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा ने इस मामले में अलग अलग मत दिया। जस्टिस नागरत्ना ने अपीलकर्ता रमेश बघेल को अपने पिता को अपनी निजी कृषि भूमि में दफनाने की अनुमति दी। उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रकार के फैसले से समाज में भाईचारे की भावना को बढ़ावा मिलेगा। वहीं, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा ने अपने फैसले में कहा कि शव को केवल ईसाइयों के लिए निर्धारित स्थान, जो कि करकापाल गांव में स्थित है, पर ही दफनाया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने इस विवाद को सुलझाने की कोशिश करते हुए अनुच्छेद 142 के तहत निर्णय दिया कि शव को करकापाल गांव में ईसाइयों के लिए तय किए गए स्थान पर ही दफनाया जाए। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि राज्य सरकार ईसाइयों के लिए पूरे राज्य में कब्रिस्तान चिन्हित करेगी और यह कार्य दो महीने के भीतर पूरा किया जाएगा। यह मामला तब सामने आया जब रमेश बघेल ने शिकायत की कि अधिकारियों ने उसके पिता का शव दफनाने के लिए उचित स्थान की व्यवस्था नहीं की थी। शव 7 जनवरी से शवगृह में पड़ा हुआ था, जिससे समस्या और बढ़ गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे को सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझाने की बात की और कहा कि इस प्रकार की स्थिति से नागरिकों को दुख नहीं होना चाहिए।

Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *