चंद्रचूड़ ने जिस प्रथा को बंद किया था उसे फिर लागू किया, ऐक्शन में CJI संजीव खन्ना, 16 जजों को मिली जगह

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नई दिल्ली
भारत के नए चीफ जस्टिस संजीव खन्ना अपना पद संभालते ही लगातार नई व्यवस्था बनाने के आदेश दे रहे हैं। एक नए आदेश में उन्होंने 16 पीठों को नए मामलों के आवंटन के लिए एक नया रोस्टर जारी किया है। साथ ही यह भी निर्णय लिया गया है कि प्रधान न्यायाधीश और दो वरिष्ठतम न्यायाधीशों की अध्यक्षता वाली पहली तीन अदालतें क्रमशः पत्र याचिकाओं और जनहित याचिकाओं की सुनवाई करेंगी। प्रधान न्यायाधीश के आदेश के तहत नए मामलों के आवंटन के लिए रोस्टर को सर्वोच्च न्यायालय की रजिस्ट्री ने अधिसूचित किया और यह 11 नवंबर से प्रभावी हो गया है। नागरिकों द्वारा सर्वोच्च न्यायालय को लिखे गए पत्रों से उत्पन्न नयी याचिकाओं और नयी जनहित याचिकाओं (पीआईएल) की सुनवाई प्रधान न्यायाधीश और दो वरिष्ठतम न्यायाधीशों न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ करेंगी।

पत्र याचिकाओं और जनहित याचिकाओं के अलावा, प्रधान न्यायाधीश की अगुवाई वाली पीठ अधिकतम मुद्दों पर विषयवार विचार करेगी, जिनमें सामाजिक न्याय से संबंधित मामले, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति के चुनाव से संबंधित विवाद और सांसदों और विधायकों के चुनाव से संबंधित अन्य मामले, बंदी प्रत्यक्षीकरण मामले और मध्यस्थता के मामले शामिल हैं। न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ चुनाव संबंधी याचिकाओं पर भी सुनवाई करेगी।

डीवाई चंद्रचूड़ ने लगाई थी रोक
पूर्व प्रधान न्यायाधीश यूयू ललित सभी पीठों को जनहित याचिकाएं आवंटित करते थे और लेकिन पूर्व प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने इस प्रथा को बंद कर दिया था। विषयवार मामलों का आवंटन 16 वरिष्ठ न्यायाधीशों को किया गया है जो पीठों की अध्यक्षता करेंगे। न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला, जो पूर्व प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ के साथ पीठ साझा कर रहे थे वह सामान्य दीवानी मामलों के अलावा प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर मामलों को भी देखेंगे।

इन 16 जजों को मिली जगह
सीजेआई सहित तीन वरिष्ठतम न्यायाधीशों के अलावा, अन्य 13 न्यायाधीश हैं- न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय, न्यायमूर्ति एएस ओका, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी, न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना, न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार, न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश, न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा, न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति पंकज मिथल।

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