अलवर.
अलवर जिले की सरिस्का टाइगर सफारी के बफर जोन से निकला बाघ एसटी 2303 एक बार फिर झाबुआ के जंगलों में पहुंच गया है। तीन दिन पहले यह बाघ जिले के कोटकासिम के जखोपुर के खेतों में पहुंच गया था। अब यह बाघ सबी नदी के पास झाबुआ में पाया गया है। झाबुआ का सात सौ एकड़ में फैला जंगल इसे इतना भा गया कि यह पिछले काफी दिनों से वहां डेरा जमाए हुए है।
ऐस में बाघ को रेस्क्यू करने के लिए बड़े-बड़े पिंजरे लगाए गए हैं। साथ ही बाघ को ट्रैंक्विलाइज करने के लिए चार टीमों की तैनाती की गई है, लेकिन अभी तक इसे ट्रैंक्विलाइज नहीं किया जा सका। प्रयास किए गए हैं, लेकिन या तो शॉट निशाने पर नहीं लगा या टाइगर ने जगह बदल दी। झाबुआ के जंगलों में बाघ की साइटिंग भी हुई है, कैमरा ट्रैप में इसके फोटो भी आए हैं। यह बाघ 15 अगस्त को बफर जोन से निकला था और मुंडावर के दरबार होते हुए झाबुआ पहुंच गया। बाघ ने किसी व्यक्ति या जानवर पर हमला नहीं किया। हालांकि, दरबार में बाध ने चार लोगों को घायल कर दिया था, ऐसा उसने तब किया जब गांव वालों ने हो-हल्ला कर उसे परेशान किया। बता दें कि यह बाघ दूसरी बार बफर जोन से बाहर निकला है। इससे पहले यह हरियाणा पहुंच गया था। बाघ अपनी अलग टेरेटरी बनाना चाहता है, इसी कारण यह बार-बार बफर जोन से निकलता है। ऐसे में वन विभाग ने इसे रेस्क्यू कर बूंदी जिले के जंगलों में भेजने की तैयारी कर रहा है।